मेरा आठवाँ प्रकाशन / MY Seventh PUBLICATIONS

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गुरुवार, 24 मार्च 2016

इंसान को सम्मान

इंसान को सम्मान

इस जग में अब पद ही पद हैं.

कोई मुख्यमंत्री है तो कोई प्रधानमंत्री है,
कोई रक्षा मंत्री है तो कोई शिक्षा मंत्री है,
कोई महा मंत्री है तो कोई कहाँ मंत्री है
कोई अधिकारी है तो की संत्री है.
कोई साँसद है तो कोई विधायक है,
कोई पौर है तो कोई महापौर है,
कोई अध्यक्ष है तो कोई सचिव है,
कोआ सी ई ओ है तो कोई बी ई ओ है.

घर में भी कोई पति है तो कोई पत्नी है,
कोई बेटा है तो कोई बेटी है,
कोई दामाद है तो कोई बहू है,
कोई देवर है तो कोई ननद है.

सब जगह सबने अपने अपने पद बाँट रखे हैं.
उन पदों के साथ अधिकार तो हैं किंतु
कर्तव्य का तो कोई समागम नजर नहीं आता.
जहाँ जिसका जब जैसे चल जाता, चला जाता.

पर हद है कि हम सब भूल रहे हैं कि
चाहे गीता पढ़े या कुरान,
जैन हों या बौद्ध,
सिक हों या ईसाई,

इन सबसे हटकर,
और हर इस पद से पहले,
हर एक मद से पहले,
हम सब इंसान हैं,

इसलिए लोगों पदों पर बाद में ध्यान दो,
पहले हर इंसान को इंसान होने का,  
हर दूसरे को ईश्वर द्वारा बराबर बनाए जाने का,
सम्मान दो.
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